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स्तनपान जीवन अमृत।

By SHEETAL CHAVAN | published: अगस्त 02, 2019 05:19 PM 2019-02-12T14:15:30+5:30

स्तनपान जीवन अमृत।

शहर : मुंबई

शिशु को स्तनपान कराना कुदरत की अनमोल देन है। इससे शिशु को शारीरिक पोषण व आत्मिक संतुष्टि दोनों मिलते हैं। स्तनपान मां और शिशु दोनों के लिए लाभदायक होता है व दोनों का मूलभूत अधिकार भी है। मां व शिशु के बीच आपसी संबंध स्थापित करने में स्तनपान की अहम भूमिका होती है।
स्तनपान से शिशु को होने वाले लाभ. जन्म के एक घंटे के भीतर स्तनपान शुरू करा देना चाहिए। इसके अतिरिक्त शिशु को शहद, पानी आदि कुछ भी न दें।


2. मां का दूध खासकर पहले तीन दिन का पीला-गाढ़ा दूध (कोलॉस्ट्रम) पिलाने से शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है। इससे मिलने वाली एंटीबॉडी की मदद से बच्चा भविष्य में होने वाले डायरिया, न्यूमोनिया आदि संक्रामक रोगों से सुरक्षित रहता है।


3. हाल-फिलहाल हुए सर्वे में भी पता चला है कि स्तनपान के दौरान शिशु की त्वचा में व्याप्त जीवाणु मां के संपर्क में आते हैं। इन हानिकारक जीवाणुओं के विरोध में विशेष एंटीबॉडी मां के शरीर में बनती है, जिन्हें मां दूध के माध्यम से शिशु को प्रदान करती है। यह अद्भुत क्षमता किसी ऊपरी दूध में नहीं हो सकती।

 

4. ऊपरी दूध से शिशु लैक्टोज इंटॉलरेंस व एनिमल मिल्क प्रोटीन एलर्जी जैसी समस्याओं से ग्रस्त हो सकता है। मां के दूध पर पलने वाले शिशु इनसे सुरक्षित रहते हैं।बोतल द्वारा दूध पिलाने से बच्चे में डायरिया का खतरा रहता है। इससे बच्चे में पानी की कमी हो जाती है। पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों में मृत्यु का प्रमुख कारण डायरिया है। स्तनपान द्वारा इससे बचा जा सकता है। बोतल वाले दूध पर पले बच्चों में गैस व पेट दर्द की समस्या अधिक होती है।


5. बोतल व चम्मच से दूध पिलाने के विपरीत स्तनपान एक एक्टिव प्रोसेस है, जिसमें बच्चा अपने जोर से दूध खींचता है। इससे उसके जबड़े बेहतर विकसित होते हैं।


6. विभिन्न शोधों द्वारा सिद्ध हुआ है कि स्तनपान पर पले बच्चों का मानसिक विकास बेहतर होता है। मां के दूध से उसे आवश्यक अमीनो एसिड्स, फैटी एसिड्स व पोषक तत्व मिलते हैं जिससे मानसिक विकास बेहतर होता है। याद रहे मनुष्य के मस्तिष्क का 90 प्रतिशत विकास पहले दो वर्ष में ही होता है। अत: इस महत्वपूर्ण समय को व्यर्थ न जाने दें।

7. दूध पिलाने के दौरान शिशु मां के हावभाव देखकर भी सीखता है व उसका संपूर्ण विकास शीघ्र होता है। ऊपरी दूध पर पले बच्चों में भविष्य में मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज व फूड एलर्जी की संभावना अधिक है। स्तनपान द्वारा इन रोगों से बच्चे को बचाया जा सकता है।

8. बच्चे को छह माह तक सिर्फ स्तनपान कराएं। इसके बाद ऊपरी ठोस आहार शुरू करें व स्तनपान को डेढ़ से दो वर्ष तक जारी रखें। इस दौरान मां को अपनी खुराक का विशेष ध्यान रखना चाहिए। आंकड़ों के अनुसार स्तनपान द्वारा शिशु मृत्युदर में 20 से 25 प्रतिशत तक कमी लाई जा सकती है

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