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बुद्ध पूर्णिमा 2019: वर्षों बाद बना मंगल-राहू, शनि-केतु का दुर्लभ संयोग, देगा अनेकों लाभ

By DAYANAND MOHITE | published: मई 17, 2019 06:48 PM 2019-02-12T14:15:30+5:30

बुद्ध पूर्णिमा 2019: वर्षों बाद बना मंगल-राहू, शनि-केतु का दुर्लभ संयोग, देगा अनेकों लाभ

शहर : मुंबई

हिन्दू धर्म में यूं तो हर महीने की पूर्णिमा तिथि को महत्वपूर्ण अमाना जाता है, परंतु वैशाख मास की पूर्णिमा तिथि को अत्यधिक महत्ता दी जाती है। देश और दुनिया में यह पूर्णिमा 'बुद्ध पूर्णिमा' के नाम से जानी जाती है। मान्यता है कि इसी दिन बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध यानी भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था। इस वैशाख मास की पूर्णिमा 18 मई को है। बौद्ध धर्म के अनुयायी इसीदिन भगवान बुद्ध का जन्मोत्सव मनाएंगे।

कब है बुद्ध पूर्णिमा? (Buddha Purnima date, significance)

हिन्दू कैलेंडर के अनुसार वैशाख मास की पूर्णिमा तिथि को बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध यानी भगवान बुद्ध ने जन्म लिया था। भगवान बुद्ध को भगवान विष्णु का ही अवतार माना जाता है। इसलिए भारत में यह पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। भारत के बाहर भी बौद्ध धर्म की मजबूत जड़ें होने के कारण यह एक अंतर्राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाया जाता है।

बुद्ध पूर्णिमा पूजा का शुभ मुहूर्त (Buddha Purnima 2019 puja shubh muhurat)

पंचांग के अनुसार 18 मई की सुबह 4 बजकर 10 मिनट पर पूर्णिमा तिथि प्रारंभ हो जाएगी जो कि अगले दिन यानी रविवार 19 मई की सुबह 2 बजकर 41 मिनट तक मान्य है। 18 मई को सूर्य उदय से बुद्ध मुर्निमा का पर्व पारंभ हो जाएगा। सुबह से लेकर रात तक किसी भी समय पूजा की जा सकती है। चद्रमा उदय होने पर पूर्णिमा तिथि संबंधित उपाय करने से विशेष फल की प्राप्ति होगी।

 

बुद्ध पूर्णिमा ग्रहीय संयोग (Buddha Purnima 2019 astrological significance)

ज्योतिष परिणामों के अनुसार करीब 502 वर्षों के बाद वैशाख मास की पूर्णिमा तिथि पर एक दुलर्भ संयोग बना है। संयोग के अन्जुसार एक ही समय पर मंगल-राहू की युति मिथुन राशि में थी और शनि-केतु की युति धनु राशि में थी। ठीक ऐसा संयोग इस बार 18 मई को बन रहा है। इन चार ग्रहों के एक साथ, एक समय पर होने से एक बड़ा ज्योतिषीय संयोग बन रहा है जिसमें ज्योतिष उपाय करने से वे फलित सिद्ध होंगे।

बुद्ध पूर्णिमा सरल पूजा विधि (Buddha Purnima पूजा विधि)

पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी उठ जाएं, स्नान करें और साफ वस्त्र पहनकर तैयार हो जाएं। भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर के सामने बैठ जाएं। अब जल से भरा एक पात्र लेकर उसे तस्वीर के सामने रख दें। थोड़ी चीनी और तिल भी रख दें। अब भगवान के सामने तेल का दीपक जलाएं। विष्णु मंत्र का एक माला जाप करें और अंत में आरती करके पूजा संपन्न करें।

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